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December 30, 2017

हद से बड़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा

उम्दा वसीम बरेलवी 3 Comments

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हद से बड़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा

जैसे कोई परों को कतरता चला गया |

मंज़िल समझ के बैठ गये जिनको चंद लोग

मैं एैसे रास्तों से गुज़रता चला गया ||

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— वसीम बरेलवी

December 18, 2017

गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है

उम्दा राहत इंदौरी 3 Comments

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गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है

फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है

अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है
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— राहत इंदौरी

October 24, 2017

मेरे बारे में कोई राय न बनाना ग़ालिब

उम्दा अज्ञात 7 Comments

मेरे बारे में कोई राय न बनाना ग़ालिब
मेरा वक़्त बदलेगा और तेरी राय भी !!

— अज्ञात

August 10, 2017

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

उम्दा निदा फ़ाज़ली 8 Comments

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सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
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safar meñ dhuup to hogī jo chal sako to chalo
sabhī haiñ bhiiḌ meñ tum bhī nikal sako to chalo

kisī ke vāste rāheñ kahāñ badaltī haiñ
tum apne aap ko ḳhud hī badal sako to chalo

yahāñ kisī ko koī rāsta nahīñ detā
mujhe girā ke agar tum sambhal sako to chalo

kahīñ nahīñ koī sūraj dhuāñ dhuāñ hai fazā
ḳhud apne aap se bāhar nikal sako to chalo

yahī hai zindagī kuchh ḳhvāb chand ummīdeñ
inhīñ khilaunoñ se tum bhī bahal sako to chalo
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— निदा फ़ाज़ली

April 28, 2017

कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं

उम्दा साहिर लुधियानवी 5 Comments

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कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता हैं
कि ज़िंदगी तेरी जुल्फों कि नर्म छांव मैं गुजरने पाती
तो शादाब हो भी सकती थी।

यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई हैं
तेरी नज़र कि शुआओं मैं खो भी सकती थी।

मगर यह हो न सका और अब ये आलम हैं
कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।

गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,
इससे किसी के सहारे कि आरझु भी नहीं.

न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग
भटक रहीं है अंधेरों मैं ज़िंदगी मेरी.

इन्ही अंधेरों मैं रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूंही
कभी कभी मेरे दिल मैं ख्याल आता है
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Kabhi kabhi mere dil main khayal aata hain
Ki zindagi teri zulfon ki narm chhaon main guzarne pati
to shadab ho bhi sakti thi.

Yeh ranj-o-gham ki siyahi jo dil pe chhayi hain
Teri nazar ki shuaon main kho bhi sakti thi.

Magar yeh ho na saka aur ab ye aalam hain
Ki tu nahin, tera gham teri justjoo bhi nahin.

Guzar rahi hain kuchh iss tarah zindagi jaise,
isse kisi ke sahare ki aarzoo bhi nahin.

Na koi raah, na manzil, na roshni ka suraag
Bhatak rahin hai andheron main zindagi meri.

Inhi andheron main reh jaoonga kabhi kho kar
Main janta hoon meri hum-nafas, magar yoonhi
Kabhi kabhi mere dil main khayal aata hai.
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शादाब /Shadab = fresh,delightful
रंज/Ranj = distress,grief
जुस्तजू /Justjoo = desire
हम-नफस/Hum-nafas = companion,friend

— साहिर लुधियानवी

April 11, 2017

​फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़

उम्दा उम्दा, वसीम बरेलवी 0 Comments

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फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़।
आप क्या खाक अदालत में सफाई देंगे।।
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Faisla likha hua rakha hai pahle se Khilaaf,
Aap kya Khaak Adalat me Safaai denge.
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— वसीम बरेलवी

April 11, 2017

इस जमाने का बड़ा कैसे बनू

उम्दा वसीम बरेलवी 1 Comment

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इस जमाने का बड़ा कैसे बनू की इतना छोटापन मेरे बस का नही
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is zamane ka bada kaise banu itna chhotapan mere bas ka nahi
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— वसीम बरेलवी

March 8, 2017

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

उम्दा सोहनलाल द्विवेदी 8 Comments

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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है ।
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है ॥
मन का साहस रगों में हिम्मत भरता है ।
चढ़ कर गिरना, गिर कर चढ़ना न अखरता है ॥
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥

डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगाता है ।
जा जा कर खाली हाथ लौट कर आता है ॥
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में ।
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में ॥
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो ।
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो ॥
जब तक न सफल हो, नींद – चैन को त्यागो तुम ।
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम ॥
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ॥

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Lahron se darkar nauka kabhi paar nahi hoti
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti
nanhi chinti jab dana lekar chalti hai,
chadhti deewaron par sau baar fisalti hai,
manka vishwas ragon me sahas bharta hai,
chadhkar girna, girkar chadhna na akharta hai,
mehnat uski bekar har baar nahi hoti,
mehnat karne walo ki kabhi haar nahi hoti,

dubkiyan sindhu me gotakhor lagata hai,
ja ja kar khali haath laut kar ata hai,
mile na sehaj moti gehare pani me,
badhta duuna vishwas is hairani me,
muthi uski khaali har baar nahi hoti,
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti,
asaflta ek chunauti hai, sweekar karo,
kya kami reh gayi, dekho aur sudhar karo,
jab tak safal na ho chain ki neend ko tyago tum,
sangharsh ka maidan mat chod kar bhago tum,
kuch kiye bina jai jai kaar nahi hoti,
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti.

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— सोहनलाल द्विवेदी

October 28, 2016

मुझे ये खौफ दे ऐ माली की मुझी पर नज़र तेरी

उम्दा वसीम बरेलवी 0 Comments

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मुझे ये खौफ दे ऐ माली की मुझी पर नज़र तेरी
बस इतना नहीं काफी की सजदा कर लिया मैंने
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mujhe ye khauph de ai maalee kee mujhee par nazar teree
bas itana nahin kaaphee kee sajada kar liya mainne
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— वसीम बरेलवी

October 28, 2016

सभी को छोड़ के खुद पर भरोसा कर लिया मैंने

उम्दा वसीम बरेलवी 2 Comments

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सभी को छोड़ के खुद पर भरोसा कर लिया मैंने,
वह जो मुझमें मरने को था जिंदा कर लिया मैंने

मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी की
जो कश्ती मिली उस पर भरोसा कर लिया मैंने
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sabhee ko chhod ke khud par bharosa kar liya mainne,
vah jo mujhamen marane ko tha jinda kar liya mainne

mujhe us paar utar jaane kee jaldee hee kuchh aisee thee kee
jo kashtee milee us par bharosa kar liya mainne
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— वसीम बरेलवी

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