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उम्दा शायरी
बेहतरीन एवं उम्दा शायरी
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सभी को छोड़ के खुद पर भरोसा कर लिया मैंने
27 October 2016
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ये कैसा ख्वाब है आँखों का हिस्सा क्यों नहीं होता
27 October 2016
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मुझे गम है तो बस इतना सा गम है
27 October 2016
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ज़रा सा क़तरा कहीं आज गर उभरता है
27 October 2016
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दुनिया की हर जंग वही लड़ जाता है
27 October 2016
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बड़ी तो है गली कूचों की रौनक
27 October 2016
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कैसे हमदर्द हो तुम कैसी मसीहाई है
27 October 2016
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बंदा बनने को यहां कोई भी तैयार नहीं
27 October 2016
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कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
27 October 2016
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मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश
27 October 2016
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