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उम्दा शायरी
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वसीम बरेलवी
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वसीम बरेलवी
2017
हद से बड़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा
29 December 2017
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फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़
10 April 2017
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इस जमाने का बड़ा कैसे बनू
10 April 2017
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2016
मुझे ये खौफ दे ऐ माली की मुझी पर नज़र तेरी
27 October 2016
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सभी को छोड़ के खुद पर भरोसा कर लिया मैंने
27 October 2016
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ये कैसा ख्वाब है आँखों का हिस्सा क्यों नहीं होता
27 October 2016
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मुझे गम है तो बस इतना सा गम है
27 October 2016
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ज़रा सा क़तरा कहीं आज गर उभरता है
27 October 2016
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दुनिया की हर जंग वही लड़ जाता है
27 October 2016
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बड़ी तो है गली कूचों की रौनक
27 October 2016
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बंदा बनने को यहां कोई भी तैयार नहीं
27 October 2016
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मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश
27 October 2016
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पतंग जैसे ये उड़ना भी कोई उड़ना है
27 October 2016
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लगता तो बेख़बर सा हूँ लेकिन ख़बर में हूँ
27 October 2016
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जहाँ भी जाऊ नज़र में हूँ ज़माने की
27 October 2016
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