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उम्दा शायरी
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2016
बड़ी तो है गली कूचों की रौनक
27 October 2016
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कैसे हमदर्द हो तुम कैसी मसीहाई है
27 October 2016
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बंदा बनने को यहां कोई भी तैयार नहीं
27 October 2016
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1 min
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कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
27 October 2016
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1 min
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मैं बोलता गया वो सुनता रहा खामोश
27 October 2016
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1 min
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पतंग जैसे ये उड़ना भी कोई उड़ना है
27 October 2016
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1 min
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लगता तो बेख़बर सा हूँ लेकिन ख़बर में हूँ
27 October 2016
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जहाँ भी जाऊ नज़र में हूँ ज़माने की
27 October 2016
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1 min
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तराशना ही था हीरा तो मेरा तेरा क्या
27 October 2016
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ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो
26 October 2016
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देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो
19 October 2016
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हमेशा देर कर देता हूँ मैं
19 October 2016
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उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
19 October 2016
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बुलंदी से उतर आना तो कुछ मुश्किल नहीं लेकिन
19 October 2016
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बिछड़ जाऊ तो रिश्ता तेरी यादों से जोड़ूँगा
19 October 2016
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