↓
Skip to main content
Categories
Archives
उम्दा शायरी
/
Category
/
बशीर बद्र
/
बशीर बद्र
2016
ग़ुरूर उस पे बहुत सजता है मगर कह दो
26 October 2016
·
1 min
__________
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
19 October 2016
·
1 min
__________
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
19 October 2016
·
1 min
__________