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उम्दा शायरी
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उम्दा
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उम्दा
2017
फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़
10 April 2017
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2016
कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है
27 October 2016
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पतंग जैसे ये उड़ना भी कोई उड़ना है
27 October 2016
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उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
19 October 2016
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बुलंदी से उतर आना तो कुछ मुश्किल नहीं लेकिन
19 October 2016
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बिछड़ जाऊ तो रिश्ता तेरी यादों से जोड़ूँगा
19 October 2016
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ये मैं ही था जो बचा कर ले आया खुद को साहिल पर
19 October 2016
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मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
19 October 2016
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लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
19 October 2016
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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल
19 October 2016
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
18 October 2016
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