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उम्दा शायरी
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वसीम बरेलवी
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वसीम बरेलवी
2016
तराशना ही था हीरा तो मेरा तेरा क्या
27 October 2016
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बुलंदी से उतर आना तो कुछ मुश्किल नहीं लेकिन
19 October 2016
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बिछड़ जाऊ तो रिश्ता तेरी यादों से जोड़ूँगा
19 October 2016
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ये मैं ही था जो बचा कर ले आया खुद को साहिल पर
19 October 2016
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अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
19 October 2016
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मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
19 October 2016
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मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
19 October 2016
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उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
19 October 2016
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झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
19 October 2016
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