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गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है
फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है
अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए
मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है
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December 30, 2017
हद से बड़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा
उम्दा वसीम बरेलवी 3 Comments
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हद से बड़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा
जैसे कोई परों को कतरता चला गया |
मंज़िल समझ के बैठ गये जिनको चंद लोग
मैं एैसे रास्तों से गुज़रता चला गया ||
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— वसीम बरेलवी